सरगुजा (Surguja) संभाग मुख्यालय में सार्वजनिक रावण दहन का आयोजन जमकर आतिशबाजी के बाद फीका पड़ गया. सरगुजा संभाग के कई जिले के लोग अम्बिकापुर (Ambikapur) में दशहरा मनाने आते हैं, लेकिन इस बार दशहरे ( Dussehra) का रंग बेरंग हो गया. रावण दहन के आयोजन में उपस्थित हजारों लोगों के बीच रावण पुतला खुद जल गया, जबकि पुतला को जलाने के लिए महीन भर से तैयारी चल रही थी.
मंगलवार को दशहरे के दिन जब रावण दहन के लिए विशाल शोभा यात्रा के माध्यम से भगवान राम, सीता, लक्ष्मण, और हनुमान पहुंचे तो रावण उनके हाथ से ना जलकर खुद जल गया. अम्बिकापुर के पीजी कालेज ग्राउंड में नागरिक सेवा समिति, सरगुजा सेवा समिति और जिला प्रशासन के संयुक्त प्रयास से पिछले तीस दशक से भी अधिक समय से सार्वजनिक रावण दहन का आयोजन किया जाता है.
खुद जला रावण
हर साल रावण दहन को लेकर पीजी कालेज में बाहर से आए कलाकारों क द्वारा रावण पुतला तैयार किया जाता है. इस बार भी कलाकारों ने 101 फुट का रावण तैयार किया था. मंगलवार को रावण दहन के लिए आतिशबाजी चल रही ही थी कि रावण खुद जल गया. दरअसल, रावण दहन के पहले आतिशबाजी की परंपरा है. इसी आतिशबाजी के दौरान एक चिंगारी रावण के नाभि में लगे उस स्थान पर पहुंच गई, जहां रावण को जलाने के लिए बंम बारूद लगाया जाता है.
शोभा यात्रा निकली
फिर क्या था रावण के पुतले में आग लग गई और वो खुद ब- खुद जल गया. रावण दहन के लिए हमेशा की तरह कुछ चुनिंदा बच्चों को भगवान राम लक्ष्मण सीता और हनुमान बनाया गया था. उनको शहर के राम मंदिर से शोभायात्रा के माध्यम से शहर के मुख्य मार्गों से पीजी कालेज ग्राउंड तक लाया गया. जहां राम के प्रतीक बच्चे के हाथ रावण का दहन किया जाना था. शोभा यात्रा पीजी कालेज ग्राउंड पहुंची.
दूर दूर से आते हैं लोग
उसके बाद जैसे ही यहां आतिशबाजी हुई, लोगों का उत्साह मायूसी में बदल गया. क्योंकि रावण राम प्रतीत बच्चे के हाथ से ना जल कर आतिशबाजी का शिकार हो गया. अम्बिकापुर संभाग मुख्यालय है. यहां का पैसेस दशहरा भी प्रसिद्ध है. इसलिए सरगुजा संभाग मुख्यालय अम्बिकापुर समेत आस पड़ोस के जिले के लोग भी पैलेस दशहरा देखने आते हैं.
लोग यहां दिन में पैलेस दशहरा के बाद शाम को पीजी कालेज में होने वाले सार्वजनिक दशहरा महोत्सव में शामिल होकर रावण पुतला दहन का लुफ्त भी लेते हैं, लेकिन मंगलवार की घटना के बाद लोगों का उत्साह पूरी तरह मायूसी में बदल गया. हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. इससे पहले भी एक बार रावण आतिशबाजी का शिकार हो गया था.