बस्तर संभाग के 12 विधानसभा सीटों में प्रथम चरण में 7 नवम्बर को मतदान होना है. 24 अक्टूबर से सभी राजनीतिक दल के प्रत्याशी चुनावी प्रचार प्रसार में जुट गए हैं. वहीं कुछ दिनों में बीजपी, कांग्रेस और आप पार्टी के स्टार प्रचारकों के बस्तर पहुंचने का भी सिलसिला शुरू हो जाएगा. इधर सभी प्रत्याशी अपने-अपने जीत का दावा कर रहे हैं, लेकिन वहीं बस्तर के राजनीतिक मामलों के जानकार इस बार सभी प्रत्याशियों में कांटे की टक्कर होना बता रहे हैं.
खासकर बीजेपी-कांग्रेस से नाराज सर्व आदिवासी समाज के द्वारा हमर राज पार्टी का गठन कर बस्तर संभाग के 7 सीटों में अपने प्रत्याशी उतारने से बीजेपी कांग्रेस को इससे बड़ा नुकसान होने का अंदेशा लगाया जा रहा है. भानुप्रतापपुर उपचुनाव में जिस तरह से सर्व आदिवासी समाज से उतरे निर्दलीय प्रत्याशी अकबर कोर्राम ने 23 हजार वोट लाकर चुनाव समीकरण को बिगाड़ा था उससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि इस बार के चुनाव में भी सर्व आदिवासी समाज से उतरे प्रत्याशी इन सीटों में वोट का समीकरण बिगाड़ सकते हैं. बीजेपी कांग्रेस और अन्य निर्दलीय प्रत्याशियों के साथ साथ हमर राज पार्टी के भी सभी प्रत्याशी अपने चुनावी प्रचार प्रसार में जोर शोर से जुट गए हैं.
7 सीटो में हमर राज पार्टी ने खड़े किए प्रत्याशी
छत्तीसगढ़ का आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बस्तर छत्तीसगढ़ में सत्ता हासिल करने के लिए अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. बस्तर संभाग में 12 विधानसभा सीट है जिनमें 11 विधानसभा सीट अनुसूचित जनजाति आदिवासियों के लिए आरक्षित है. पिछले चार चुनाव से लगातार बीजेपी और कांग्रेस के ही उम्मीदवार चुनाव में जीत हासिल करते आ रहे हैं, लेकिन इस बार इन सीटों में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है. कांग्रेस पार्टी से बगावत कर पूर्व केंद्रीय मंत्री और सर्व आदिवासी समाज के संयोजक अरविंद नेताम ने इस बार के चुनाव में नई पार्टी का गठन कर दिया है और इस चुनाव में अपने प्रत्याशी भी उतार दिए हैं.
अरविंद नेताम ने बताया कि बस्तर के 12 विधानसभा सीटों में से भानुप्रतापपुर, कांकेर, केशकाल, कोंडागांव, बस्तर, नारायणपुर और बीजापुर विधानसभा सीट में अपने प्रत्याशी खड़े किए हैं. हालांकि अन्य सीट जगदलपुर, दंतेवाड़ा, चित्रकोट, अंतागढ़ और सुकमा विधानसभा को छोड़ दिया है. इधर इन सीटों में सर्व आदिवासी समाज किस पार्टी और प्रत्याशी का समर्थन कर रही है. अरविंद नेताम ने इसका खुलासा नहीं किया है, लेकिन उन्होंने दावा किया है कि इन 7 सीटों में जरूर हमर राज पार्टी के प्रत्याशी चुनाव जीत रहे हैं.
नाराज है बस्तर के आदिवासी
इधर बस्तर के राजनीतिक मामलों के जानकार संजीव पचौरी और श्रीनिवास रथ का कहना है कि बस्तर संभाग आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है और चुनाव में आदिवासी वोटरों की काफी बड़ी भूमिका रहती है. जगदलपुर को छोड़ दे तो अन्य विधानसभा सीटों में आदिवासियों की वोट ही तय करती है कि आखिर किस पार्टी का विधायक बनेगा, हालांकि पिछले कुछ सालों से देखा जा रहा है कि बस्तर के आदिवासी अपनी मांगों के पूरा नहीं होने से काफी नाराज नजर आ रहे हैं. चाहे वह युवाओं को स्थानीय भर्ती में आरक्षण देने का मुद्दा हो या फिर बस्तर में खोले जा रहे बड़े-बड़े खदानों का, लगातार आदिवासी सड़क में उतर कर इसका विरोध कर आंदोलन कर रहे हैं. और यह भी कहा जा सकता है कि दोनों ही पार्टी के नेताओं से नाराज है.
हालांकि चुनाव में इस बार तीसरे विकल्प के रूप में सर्व आदिवासी समाज ने पार्टी का गठन कर 7 सीटों में अपने प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतारा है. ऐसे में भाजपा और कांग्रेस को मिलने वाली वोट डाइवर्ट हो सकती है. अभी यह कह पाना मुश्किल है की हमर राज पार्टी के प्रत्याशी चुनाव जीत सकते हैं या नहीं लेकिन जिन सीटों में पार्टी ने अपने प्रत्याशी खड़े किए हैं उन सीटों में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है. इसके अलावा आप पार्टी ने भी अपने प्रत्याशियों को खड़ा किया है और जिन्हें टिकट मिला है वह भी अपने क्षेत्र में दबदबा कायम रखे हुए हैं. ऐसे में इन सीटों में कांटे की टक्कर हो सकती है. अब देखना होगा कि भाजपा और कांग्रेस से नाराज आदिवासी किस पार्टी के प्रत्याशी को अपना वोट दे सकते हैं, लेकिन यह जरूर कहा जा सकता है कि हमर राज पार्टी अपने प्रत्याशी खड़े करने से जरूर भाजपा और कांग्रेस के वोट का समीकरण बिगाड़ सकती है.