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महिला आयोग के समक्ष समाज प्रमुखों ने आवेदिका को वापस किये 30 हजार

वकील बेटे ने माँ के खाते से 9 लाख रुपये आहरण करना आयोग के समक्ष किया स्वीकार

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रायपुर (वीएनएस)। राज्य महिला आयोग अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक व सदस्यगण डॉ अनिता रावटे, श्रीमती अर्चना उपाध्याय की उपस्थिति में सोमवार को राज्य महिला आयोग कार्यालय में महिलाओं से संबंधित शिकायतों के निराकरण के लिए सुनवाई की गई।
पिछली सुनवाई में आयोग ने समाज प्रमुखों को आवेदिकागणो पर लगाए गए प्रतिबंध और पूर्व में 30 हजार वापस करने समझाइश दी थी। आज की सुनवाई में आयोग के समक्ष आवेदिका को समाज प्रमुखों ने 30 हजार रूपए वापस किया। दोनो पक्षो को आयोग द्वारा दिये गए निर्देश के पालन करने की समझाइश दिया गया, भविष्य में आवेदिका के साथ कोई भी प्रतिबंधात्मक कार्यवाही समाज प्रमुखों द्वारा नही किया जाएगा। समाज प्रमुखों ने आयोग के समक्ष कहा कि आयोग के दिशा निर्देश से सार्वजनिक रूप से ग्राम पंचायत के माध्यम से मुनादी कराने की बात कही है जिससे सामाजिक व्यक्ति आवेदिका पक्ष के साथ बिना किसी प्रतिबंध के सामान्य व्यवहार का पालन करें। भविष्य में यदि पुनः कोई सामाजिक प्रतिबंध आवेदिकागण से किया गया तब अनावेदकगण के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जा सकता है।इस समझाइश के साथ प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया।
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका की दो बेटियां है अनावेदक एनटीपीसी सीपत में वर्कमैन के पद पर कार्यरत है। उसकी तनख्वाह 50 हजार रूपये प्रतिमाह है। आवेदिका ने बताया कि उसकी बच्ची 6 साल की है उसे पिछले 6 माह से अनावेदक छीनकर ले गया है। उसकी पढ़ाई भी छुड़ा दिया है और मिलने भी नहीं देता है। ननंद-नंदोई, सास-ससुर एकराय होकर अनावेदक के अवैध सबंध के पक्ष में है उसी के कारण आवेदिका को 10 माह से छोड़ रखा है और कोई भी भरण-पोषण राशि नहीं दे रहा है। आयोग की समझाइश पर पति पत्नी साथ रहने के लिये तैयार हुये और अनावेदिका दूसरी महिला को आयोग द्वारा समझाइश दिया गया कि पति-पत्नी के बीच न आए जिसे अनावेदिका ने लिखित में सहमति दिया अगर भविष्य में अनावेदिका द्वारा पति-पत्नी के बीच दखलंदाजी रहा तो उन पर कड़ी कार्यवाही किया जायेगा। पति-पत्नी को आयोग द्वारा 6 महीने की निगरानी में रखा गया।जिसमें पति-पत्नी 10 बिन्दुओं पर अपनी शर्तें लिखित में आयोग के समक्ष जमा किया है।इस आधार पर प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया।
इसी तरह एक अन्य प्रकरण में समाज प्रमुखों ने आयोग के समक्ष स्वीकार किया कि परिक्षेत्र के सामाजिक बैठकों के लिये मना किया था और शेष कार्याें के लिये सहमति दिया था। आवेदिका ने पिछली सुनवाई में आयोग के समक्ष मांग किया था कि 42 हजार रूपये परिक्षेत्र ग्रामीण समाज वालों ने लिया है और इसके बाद भी उनके परिवार का सामाजिक बैठकों में आना प्रतिबंधित कर दिया है। समाज प्रमुखों को पूछा गया कि वह आवेदिका व उसके परिवार वालों को किसी भी तरह के सामाजिक प्रतिबंध खत्म करेंगे या नहीं जिस पर समाज प्रमुखों ने सहमति व्यक्त किया कि आवेदिका एवं उनके परिवारजनों के विरूद्ध किसी भी तरह का कोई जातिगत प्रतिबंध और सामाजिक प्रतिबंध नहीं रखेंगे। इस प्रकरण को निगरानी में रखते हुये नस्तीबद्ध किया गया।
एक अन्य प्रकरण में अनावेदक ने यह स्वीकार किया कि वह अपनी पत्नी के खाते में 5000 रूपये प्रतिमाह जमा करेगा और उसके दोनों बच्चे अनावेदक से कोई संबंध नहीं रखना चाहते। आवेदिका पुश्तैनी सम्पत्ति अपने बच्चों के नाम से कराना चाहती है उसके लिये बच्चे सक्षम न्यायालय में जब चाहे तब कर सकते है। इस प्रकरण नस्तीबद्ध को किया गया।
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका के साथ उनकी बेटी उपस्थित हुई। उन्होंने आयोग के समक्ष दस्तावेज प्रस्तुत कर बताया कि दुर्ग पोस्ट ऑफिस के खाता से 15 लाख से 14 लाख 50 हजार आवेदिका ने निकालकर प्राप्त कर लिए है और 50 हजार कट गए इसके अलावा अनावेदक पक्ष की ओर से दस्तावेज दिए गए और बताया गया कि कुटुंब न्यायालय दुर्ग में सभी दस्तावेज और पासबुक प्राप्त करने के लिए प्रकरण प्रस्तुत किया था पर अनावेदक ने कभी भी दस्तावेज नही दिया लेकिन आयोग की सुनवाई के दौरान मूल पासबुक 15 लाख वाला प्रस्तुत किया जो रिकॉर्ड में संलग्न है।आज आवेदिकागण का यह निवेदन है कि कोहका पोस्ट ऑफिस में 9 लाख रुपये जमा से संबंधित दस्तावेज इन्ही के पास है जिसे अब तक अनावेदक ने नही दिया है पिछली सुनवाई में आयोग के दिये गए निर्देश के अनुसार कोहका शाखा में जाकर पता किया तो पता चला कि उसमें मात्र 6 सौ 87 रुपए बचा है और बाकी पैसा कहा गया या किसने निकाला नही बता रहे हैं। आयोग द्वारा यदि पत्र भेजा जाएगा तो 9 लाख रुपए का आहरण किसके द्वारा किया गया है इस बात का पता चल जाएगा। इस स्तर पर अनावेदक से पूछे जाने पर अनावेदक ने स्वीकार किया कि उनका और आवेदिका का जॉइंट खाता था।वर्ष 2017 में 9 लाख रुपये निकालकर 4 लाख 50 हजार रुपये अनावेदक ने रखना स्वीकार किया और कहा कि उसने आवेदिका को 4 लाख 50 हजार रुपये नगद दिया था। नगद पैसा दिए जाने का सबूत अनावेदक के पास नहीं है। आयोग द्वारा पूछे जाने पर की जब आवेदिका अपने दस्तावेज मंगाए जाने के लिए विभिन्न स्थानों परआवेदन कर रही थी तो उसे दस्तावेज क्यो नही दिया गया। अनावेदक का कहना है कि उसे अपनी दोनो बहनों पर भरोसा नहीं होने के कारण आवेदिका अपनी माँ को कोई भी दस्तावेज नही दिया। दोनो पक्षो को सुनने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि कोहका ब्रांच खाता का समस्त दस्तावेज अनावेदक के पास था और वह जॉइंट खाता होने के कारण से निकालना स्वीकार किया और 4 लाख 50 हजार रुपये रखना की बात पूर्णतः स्वीकार किया है जो कि आवेदिका के हक की राशि थी अनावेदक के अनुसार शेष बची 4 लाख 50 हजार रुपये देने का कोई भी साक्ष्य उसके पास नही है और वह कहता है कि “मैं खोजूंगा” के साक्ष्य पर विश्वास किया जाना सम्भव नहीं है।अनावेदक शासकीय अधिवक्ता है वह कोई भी साक्ष्य गढ़ सकता है क्योंकि आवेदिका शिक्षित नही है आवेदिका की बेटियों से पूछने पर उन्होंने बताया कि 14 लाख 50 हजार रुपये से 5 लाख रुपये आवेदिका के नाम से एफडी किया है और शेष राशि आवेदिका के इलाज में खर्च किया है। अनावेदक से पूछे जाने पर कि वह 9 लाख रूपये आवेदिका को कब और कितने दिन में वापस करेगा या प्रतिमाह 1 लाख रूपये की दर से वापस करेगा। इस स्तर पर अनावेदक ने कहा कि मैं घर में सलाह मशवरा करने के बाद बता पाउंगा। आवेदिका पक्ष को अनावेदक यदि वापस करने को तैयार होता है तो किश्तों में पोस्ट डेटेड चैक के माध्यम से राशि वापस कर सकता है या अपनी स्थिति के अनुसार लिखित शर्त सहमति आयोग के समक्ष प्रस्तुत कर सकता है। इस पर आवेदिका को राशि वापस मिलने की संभावना के आधार पर प्रकरण को समाप्त किया जा सकेगा अन्यथा आवेदिका को यह अधिकार होगा कि वह अनावेदक के विरुद्ध 9 लाख उसके एकाउन्ट से बिना अनुमति के आहरण करने के एवज में अनावेदक के विरूद्ध थाने में आपराधिक मामला भी दर्ज करा सकेगी। अनावेदक ने राशि वापस करने के लिये समय की मांग की है।
आज जनसुनवाई में 20 प्रकरण में 15 पक्षकार उपस्थित हुए तथा 6 प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया शेष अन्य प्रकरण को आगामी सुनवाई में रखा गया।

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