प्रमोशन में आरक्षण मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए 2019 के राज्य सरकार के आदेश को पूरे तरीके से निरस्त कर दिया है. इससे पहले अदालत ने इस पर रोक लगाई थी. पूरे केस की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और एनके चंद्रवंशी की डबल बेंच ने की है. बेंच ने अपना फैसला सुनाते हुए याचिका निराकृत कर दी है. याचिकाकर्ता संतोष कुमार के वकील योगेश्वर शर्मा ने बताया कि छत्तीसगढ़ हाईकोट ने अपने फैसले में कहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने आदेश को लागू करने में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के निर्देशों का पालन नहीं किया था, जिसमें कहा गया कि प्रमोशन में आरक्षण देने के लिए हर विभाग से जातिगत डाटा एकत्रित कर केवल जिन्हें जरूरत है उन्हीं SC/ST कर्मचारियों को इसका लाभ दिया जाना चाहिए, जबकि डाटा कलेक्ट करने का काम पूर्ववर्ती सरकार ने नहीं किया था.
बता दें कि प्रमोशन में आरक्षण मामले पर कुछ दिनों पहले कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा आरक्षण पर लगी रोक के आदेश में संशोधन या फिर उसे रद्द करने की मांग खारिज कर दी थी. मामले पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और एनके चंद्रवंशी की डबल बेंच ने ही अपना फैसला सुनाया था.
जानें क्या है पूरा मामला
राज्य सरकार ने 22 अक्टूबर 2019 को प्रदेश में प्रमोशन पर आरक्षण के लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिया था. इस नोटिफिकेशन तहत प्रथम से चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण का लाभ देने की बात कही गई थी. इसमें अनुसूचित जाति को 13 फीसदी, जबकि अनुसूचित जन जाति के लिए 32 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था की गई है. नोटिफिकेशन में स्पष्ट किया गया था कि यह आरक्षण प्रथम श्रेणी के पदों से प्रथम श्रेणी के उच्च वेतनमान के पदों पर पदोन्नति होने, द्वितीय श्रेणी के पदों से प्रथम श्रेणी के पदों पर पदोन्नति और तृतीय श्रेणी के पदों पर पदोन्नत होने पर दिया जाएगा.