कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो (Justin Trudeau) के भारत के साथ मजबूत संबंधों को कायम रखने के आश्वासन से कोई फर्क पड़ता नहीं दिख रहा है. कनाडा में खालिस्तानी समूह एक बार फिर भारत विरोधी रैली निकालने की योजना बना रहे हैं. खालिस्तान (Khalistan) समर्थक आतंकी हरदीप सिंह निज्जर (Hardeep Singh Nijjar) की हत्या के बाद से खराब चल रहे भारत-कनाडा संबंधों को एक ताजा झटका देते हुए चरमपंथी गुट रविवार को कनाडा के सरे गुरुद्वारे में एक और रैली की योजना बना रहे हैं. सूत्रों ने सीएनएन-न्यूज18 को बताया कि खालिस्तान समर्थक पूरे कनाडा से सिख कट्टरपंथियों को इस रैली में लाने की योजना बना रहे हैं.
इस रैली के लिए जो निमंत्रण प्रसारित किए गए हैं, उनमें कहा गया है कि ‘कनाडा में भारतीय हिंसा के बढ़ते खतरे और एक प्रभावी पंथिक जवाब कैसे तैयार किया जाए, इस पर चर्चा करने के लिए समुदाय की आवाज की अगुवाई करना है.’ सूत्रों के मुताबिक यह एक कट्टरपंथी समूह की रैली है, जहां लोग आएंगे और भारत के खिलाफ बोलेंगे और भविष्य में स्थिति से कैसे निपटना है, इसके बारे में योजना बनाएंगे. यह घटनाक्रम कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के भारत के साथ मजबूत संबंधों की जरूरत के दावे के बीच सामने आया है.
अब भारत और कनाडा के बीच संबंधों की इस गिरावट का कारण विदेश मंत्री एस जयशंकर और अमेरिकी विदेश मंत्री टोनी ब्लिंकन के बीच हुई बैठक को भी दिया जा रहा है. जिसमें निज्जर की हत्या के संबंध में कनाडा के आरोपों पर चर्चा की गई थी. बैठक के बाद जयशंकर ने कहा कि दोनों प्रतिनिधिमंडल ‘बेहतर जानकारी’ के साथ बैठक से बाहर निकले. इसके बाद पीएम ट्रूडो ने एक बयान दिया. जिसमें उन्होंने कहा कि कनाडा भारत के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने के बारे में ‘बहुत गंभीर’ है क्योंकि यह एक बढ़ती आर्थिक शक्ति और महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक खिलाड़ी है. साथ ही वह चाहता है कि नई दिल्ली ओटावा के साथ काम करे. जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि हरदीप सिंह निज्जर की हत्या से जुड़े तथ्यों के बारे में उन्हें पूरी जानकारी मिले.
गौरतलब है कि ब्रिटिश कोलंबिया में 18 जून को निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों की ‘संभावित’ संलिप्तता के ट्रूडो के विस्फोटक आरोपों के बाद भारत और कनाडा के बीच तनाव बढ़ गया है. भारत ने 2020 में निज्जर को आतंकवादी घोषित किया था. भारत ने गुस्से में आरोपों को ‘बेतुका’ और ‘प्रेरित’ कहकर खारिज कर दिया और मामले पर ओटावा के एक भारतीय अधिकारी के निष्कासन के बदले में एक वरिष्ठ कनाडाई राजनयिक को निष्कासित कर दिया.