वैसे तो जेल में अपराधी नरक ही भोगता है, लेकिन छत्तीसगढ़ की जेलों में उनकी हालत इससे भी बदतर है. यहां ठूंस-ठूंसकर कैदी भरे गए हैं. अगर यही स्थिति रही तो जेल ब्रेक की आशंका भी बढ़ जाएगी. एनसीआरबी (National Crime Records Bureau) की रिपोर्ट कहती है कि छत्तीसगढ़ की जेलों की स्थिति दयनीय है. प्रदेश की जेलों में कैदियों को रखने की क्षमता 14 हजार के आसपास है, जब्कि वर्तमान में यहां 20 हजार से ज्यादा कैदी रह रहे हैं. हैरानी की बात ये है कि जेल प्रशासन को जेलों की स्थिति सुधारने और निर्माण के लिए 900 करोड़ रुपये से ऊपर मिल चुके हैं, लेकिन अभी तक 170 करोड़ रुपये के आसपास ही खर्च हुए हैं.
राज्य के गृह मंत्री भी मानते हैं कि जेलों में क्षमता से ज्यादा कैदी भरे हुए हैं. वे बैरक बनाने की बात कह रहे हैं. गौरतलब है कि, छत्तीसगढ़ के जेलों में क्षमता से अधिक बंदी और विचारधीन कैदियों को रखा जा रहा है. इसकी वजह से जेल ब्रेक की आशंका तो बढ़ ही रही है, साथ ही साथ कैदियों को भी नारकीय जीवन जीना पड़ रहा है. बता दें, प्रदेश में 5 केन्द्रीय जेल, 20 जिला जेल और 7 उप जेल हैं. अधिकांश जेल में कैदी ठूंस-ठूंस कर भरे हुए हैं. अधिकारी दबी आवाज में कहते हैं कि ज्यादा कैदियों की वजह से जेल की सुरक्षा पर कभी भी सेंध लग सकती है. राज्य के गृहमंत्री विजय शर्मा भी इस बात को स्वीकार करते हैं कि राज्य में जेल कम और कैदी ज्यादा हैं. उनका कहना है कि नए बैरक बनाकर इस स्थिति को नियंत्रण में लाया जा सकता है.
यह है राज्य की जेलों की स्थिति
बता दें, छत्तीसगढ़ राज्य की जेलों में 14 हजार 143 कैदी रह सकते हैं. लेकिन, वर्तमान में यहां 20 हजार 451 कैदी रह रहे हैं. जेल प्रशासन को साल 2026 तक आधुनिकीकरण के लिए 950 करोड़ रुपये मिल चुके हैं. उसमें से जेल प्रशासन अभी तक सिर्फ 174 करोड़ रुपये ही खर्च कर सका है. रायपुर केन्द्रीय जेल की क्षमता 1586 है. लेकिन, यहां 3400 आरोपी रह रहें हैं. बिलासपर केन्द्रीय जेल की क्षमता 2290 है. यहां 3214 बंदी हैं. दुर्ग जेल की क्षमता 2000 है, मगर यहां भी क्षमता से अधिक बंदी हैं. दूसरी ओर, जेलो में पर्याप्त स्टाफ तक नहीं है. 3 केन्द्रीय जेल में जेल अधीक्षक ही नहीं हैं. जगदलपुर, महासमुंद, रायगढ़, जशपुर सहित कई जगहों पर जेल ब्रेक हो चुकी है. जेल में बंद कैदियों के बीच गैंगवार की घटना भी सामने आ रही हैं. बंदियों को पानी, सोने, शौच तक के लिए दिक्कतें हो रही हैं.