छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए बिलासपुर आईजी के आदेश को निरस्त कर दिया है. इसके बाद कई साल से जूझ रहे एक सूबेदार को बड़ी राहत मिली है. मामला मुंगेली जिला का है. मुंगेली जिले के पुलिस अधीक्षक कार्यालय में सूबेदार के पद पर पदस्थ संजय कुमार सूर्यवंशी ने पदोन्नति रक्षित निरीक्षक के पद से वंचित किए जाने के विरुद्ध याचिका दायर की थी. हाई कोर्ट अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी और नरेंद्र मेहेर के माध्यम से याचिका दायर की गई थी. इस मामले की सुनवाई करते हुए न्यायालय ने पुलिस महानिरीक्षक के आदेश को निरस्त करते हुए संजय कुमार सूर्यवंशी को रक्षित निरीक्षक के पद पर पदोन्नति का निर्देश दिया है.
अधिवक्ता सिद्दीकी ने बताया कि संजय कुमार सूर्यवंशी सूबेदार के पद पर पुलिस अधीक्षक मुंगेली के कार्यालय में पदस्थ थे. 25 दिसंबर 2013 को आरक्षक परमेश्वर श्रीवास ने रक्षित केंद्र परिसर में नशे की हालत में स्वयं के बाएं हाथ की कलाई को काट लिया था. घटना के संबंध में आरक्षक द्वारा हाथ काटने का कारण सूबेदार संजय सूर्यवंशी द्वारा बार-बार मालिश के लिए बुलाना गाली गलौज करना बताया गया. इसके फल स्वरूप पुलिस अधीक्षक मुंगेली द्वारा 25 अक्टूबर 2017 को संजय कुमार सूर्यवंशी को उसके आगामी एक वेतन वृद्धि 1 साल के लिए असंचयी प्रभाव से रोके जाने का दंड से दंडित किया गया.