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लीचिरमा गोठान की महिलाएं आय के नए साधनां से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ा रही कदम

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00 बाड़ी विकास कार्यक्रम से मिला आर्थिक सम्बल, मछलीपालन का कार्य भी किया प्रारंभ

अम्बिकापुर (वीएनएस)। कलेक्टर झा के निर्देशानुसार बिहान समूह से जुड़ी महिलाओं को विविध प्रकार की रोजगारमूलक गतिविधियों से जोड़ा जा रहा है। सुराजी ग्राम योजना अंतर्गत निर्मित गौठानों में इन महिला स्व-सहायता समूहों की ओर से गोबर से वर्मी खाद निर्माण, वर्मी खाद उत्पादन, सब्जी उत्पादन, मछलीपालन आदि आयमूलक कार्य किया जा रहा है। सीतापुर विकासखंड के ग्राम लीचिरमा की ज्योति स्व-सहायता समूह और आशा स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने नए-नए आय के साधन अपनाकर आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाया है। इन महिलाओं की लगन और सूझ-बूझ रोचक और प्रेरणादायक है।
कुशल वित्तीय प्रबंधन से आय का साधन किया सुदृढ़- स्व-सहायता समूह की सदस्य तारामुनि एक्का ने बताया कि शुरुआत में महिलाएं समूह से जुडऩे को हिचकिचा रही थी। लेकिन जिला प्रशासन की बिहान शाखा के अधिकारियों की ओर से महिलाओं को आत्मनिर्भरता के लिए प्रेरित करने से संगठन को मजबूती मिली। वर्तमान में समूह में 21 सदस्य हैं। समूह के बनते ही महिलाओं ने कुछ धनराशि एकत्रित करती गई। वहीं 3 महीने के पश्चात् आरएफ राशि प्राप्त हुई। हमने इस वर्ष 257 क्विंटल वर्मी कंपोस्ट बेचकर 97850 रुपये का आय अर्जित की गई। इसके अलावा बरबट्टी से 4500, मूंगफली से 6000, शकरकंद से 2200, अरहर से 5600, केंचुआ खाद बिक्री से 9187 तथा नेपियर घास बेचकर 2800 रुपए की आय प्राप्त की। इस तरह से स्व-सहायता समूह की दीदियों की ओर से विगत एक वर्ष में कुल 1 लाख 28 हजार 137 रुपये की आय अर्जित की गई। गोठान में दाल मिल, आटा मिल, तेल मिल यूनिट और बटेर पालन प्रस्तावित है।
ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी शैलेंद्र विशी ने बताया कि आदर्श गोठान लीचिरमा में वर्मी कंपोस्ट तथा सुपर कंपोस्ट का उत्पादन किया जा रहा है। यहां उन्नत किस्म का मूंगफली, मक्का और अरहर की खेती की जा रही है। इसके साथ शकरकंद भी लगाया गया है। पशुओं के चारा के लिए नेपियर घास भी लगाया गया है। इस वर्ष से तालाब में मछली पालन का कार्य भी किया जा रहा है। कुशल वित्तीय प्रबंधन से आज समूह की महिलाओं को दोहरी आय प्राप्त हो रही है।

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